दुर्लभ बीमारी है न्यूरोमायोटोनिया, न ही इसका इलाज है, न ही बचने का तरीका

दुर्लभ बीमारी है न्यूरोमायोटोनिया, न ही इसका इलाज है, न ही बचने का तरीका

सेहतराग टीम

न्यूरोमायोटोनिया (आइजेक सिंड्रोम) एक दुर्लभ बीमारी है। दुनियाभर में 150 से भी ज्यादा लोगों की इसकी चपेट में होने के रिकार्ड मौजूद हैं। इस बीमारी के मुख्य लक्षण है- शरीर में अकड़न, असहनीय दर्द, मांसपेशियों में ऐंठन होने लगी।

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यह है बीमारी के लक्षण

मांसपेशियों की कठोरता, लगातार मांसपेशियों में  ऐंठन, अधिक पसीना आना, असहनीय दर्द,  मांसपेशियों में कमजोरी, जलन, उठने-बैठने में दिक्कत, कमजोरी महसूस, सांस लेने में दिक्कत।

क्या है न्यूरोमायोटोनिया बीमारी

यह न्यूरो से जुड़ी बीमारी है। मरीज की नसों और मांसपेशियों में खिंचाव और अकड़न से असहनीय दर्द होता है। चलना-फिरना मुश्किल होने पर मरीज बेड पर पहुंच जाता है। अभी तक जीन में अचानक आए बदलाव से इस बीमारी के चपेट में पहुंचने की बात कही सामने आई है। आमतौर पर 15 वर्ष से 60 वर्ष की उम्र तक यह बीमारी होती है। मगर 30 और 40 वर्ष के बीच इसके लक्षण तेजी से उभरते हैं।

इस बीमारी का इलाज नहीं

दुनिया में आइजक सिंड्रोम का कोई इलाज नहीं है। इसके उपचार के तौर पर यह बीमारी बढ़े नहीं इसकी दवाएं दी जाती हैं। यह सिंड्रोम शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को नष्ट कर देता है। इम्यून सिस्टम को संतुलित करने, दर्द निवारक और स्टेरायड के जरिए मरीज को राहत दी जाती है। जाहिर है, ऐसे मरीजों के इलाज पर लाखों रुपये खर्च करने पड़ता है।

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क्या कहते हैं विशेषज्ञ

न्यूरो फिजिशियन डॉ. पुनीत दीक्षित का कहना है कि यह बीमारी बेहद दुर्लभ है। मांसपेशियां स्थिर नहीं रहती हैं। दर्द से राहत देने के लिए दवाओं की हैवी डोज देनी पड़ती है। बीमारी आगे न बढ़े, इसे दवाओं और थेरेपी के जरिए रोका जा सकता है। इस बीमारी की डायग्नोसिस काफी कठिन और महंगी है। ऐसी ही बीमारी से मिलते-जुलते दो मरीजों और आए हैं, लेकिन अभी उनकी जांचें की जा रही हैं। आइजेक सिंड्रोम की पुष्टि नहीं हुई है।

 

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